कोरोना वायरस पर मोदी द्वारा लिए गए फैसले

ऐसा राजनेता विरला ही पैदा होता है, जो अपने देश और समाज को घोर संकट से निकालकर नए-नए आदर्शों का प्रतिपादन कर राष्ट्र को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करता हो। ऐसा शख्स कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो सकते हैं। आज यदि भारत दुनिया को यह दिखाने में सक्षम है कि कोविड-19 महामारी के दौरान सफलतापूर्वक कैसे आगे बढ़ना है, तो इसका श्रेय पीएम के सक्षम नेतृत्व को जाता है, जिन्होंने समय पर देशव्यापी तालाबंदी की और यह सुनिश्चित किया कि ‘सामाजिक दूरी’ और ‘कोरोना योद्धा’ सभी के लिए एक मंत्र बनें।
मोदी द्वारा तेजी से लिए गए फैसले इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत का दृष्टिकोण अब स्थगन या देरी का नहीं है, बल्कि चुनौतियों का सामना करने का है। अप्रैल की शुरुआत में भारत दूसरे देशों से पीपीई किट और एन-95 मास्क के आयात पर निर्भर था। आज, बस कुछ ही हफ्तों के बाद, हम प्रतिदिन 2.5 लाख से अधिक पीपीई किट और 2 लाख से अधिक एन-95 मास्क का उत्पादन कर रहे हैं; हमारे पास अब वेंटिलेटर की कमी नहीं है; किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 4 लाख से अधिक आइसोलेशन बेड और पर्याप्त आईसीयू बेड हैं। भारतीय रेलवे ने देश भर में 5,231 कोचों को कोविड देखभाल केंद्रों के रूप में उपयोग करने के लिए तैयार रखा है।
इस सक्रिय दृष्टिकोण का परिणाम यह है कि जहां मार्च के अंत में अपर्याप्त परीक्षण के बारे में चिंताएं थीं, वहीं पिछले कुछ दिनों में 1.60 लाख+ परीक्षण किए गए हैं, जिससे कुल परीक्षण 15 लाख से अधिक हो गए हैं। साथ ही भारत कोरोना से होने वाली मृत्यु दर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सफल रहा है। इस संबंध में, अन्य देशों के अलावा, भारत दक्षिण कोरिया, चीन, रूस और अमेरिका की तुलना में अधिक सफल रहा है, इस तथ्य की पुष्टि जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय द्वारा जारी आंकड़ों से होती है।